जनम कुंडली बनाना कैसे सीखें?
ऑनलाइन अपने मोबाइल से जन्म कुंडली कैसे बनाये?ऑनलाइन जन्म कुंडली बनाने के लिए आपको सबसे पहले www.freekundli.com पर जाना होगा। डायरेक्ट लिंक पर क्लीक करने पर आपके सामने नीचे दिखाई गई इमेज की तरह फॉर्म ओपन होगा।यहाँ आपको अपनी सभी डिटेल्स जैसे नाम, जन्मतिथि, जन्म समय आदि भरनी होगी। जैसे ही आप सबमिट बटन पर क्लीक करेंगें।Feb 21, 2020
होरा कैसे देखे?
आइए जानते हैं कि होरा लग्न का निर्धारण कैसे किया जाता है। - यदि लग्न में विषम राशि हो और लग्न का मान 15 अंश तक हो तो होरा लग्न सूर्य की होगी। - यदि लग्न में विषम राशि हो और लग्न का मान 16 अंश से 30 अंश तक हो तो होरा लग्न चन्द्र की होगी।
कुंडली में राजयोग कब बनता है?
कुंडली में चंद्रमा ग्यारहवें घर में और गुरु तीसरे घर में स्थित होने पर राजयोग बनता है। इस योग को लेकर पैदा हुआ व्यक्ति राजा के समान होता है। यह अपने समाज में प्रसिद्धि प्राप्त करता है और धन संपन्न होता है। इस तरह कुंडली के पांचवें घर में बुध और दसवें घर में चंद्रमा होने पर राजयोग का फल प्राप्त होता है।
शुक्र की होरा क्या होती है?
शुक्र होरा- शुक्र होरा में हीरा धारण करना शुभ माना गया है। इस समय सोने-चांदी के व्यापार, आभूषण खरीदना, कला क्षेत्र में कार्य, मनोरंजन, साहित्य, नए वस्त्र धारण किए जा सकते हैं।
शुभ होरा कौन कौन सी है?
होरा शब्द की व्युत्पत्ति चन्द्रमा की होरा सर्व कार्य सिद्ध करने के लिये शुभ है। मंगल की होरा युद्ध, कलह, विवाद, लडाई झगडे के लिये, बुध की होरा ज्ञानार्जन के लिये शुभ है। गुरु की होरा विवाह के लिये, शुक्र की होरा विदेशवास के लिये, शनि की होरा धन और द्रव्य इकट्ठा करने के लिये शुभ है।
क्या मेरी कुंडली में राजयोग है?
कुंडली में चंद्रमा ग्यारहवें घर में और गुरु तीसरे घर में स्थित होने पर राजयोग बनता है। इस योग को लेकर पैदा हुआ व्यक्ति राजा के समान होता है। इस तरह कुंडली के पांचवें घर में बुध और दसवें घर में चंद्रमा होने पर राजयोग का फल प्राप्त होता है।
राजयोग कब होता है?
जब छठे, आठवें, बारहवें घरों के स्वामी छठे, आठवे, बारहवें भाव में हो अथवा इन भावों में अपनी राशि में स्थित हों और ये ग्रह केवल परस्पर ही युत व दृष्ट हो, किसी शुभ ग्रह व शुभ भावों के स्वामी से युत अथवा दृष्ट ना हों तो विपरीत राजयोग का निर्माण होता है।
लग्न कितने होते हैं?
ज्योतिषाचार्य पं. प्रह्लाद कुमार पण्ड्या ने बताया की कुंडली में 12 लग्न होते हैं और 12 ही राशियाँ भी होती है, और लग्न स्पष्ट के अनुसार कुंडली के पहले भाव में जो राशि पड़ती है उसी से लग्न का निर्धारण होता है , जैसे प्रथम भाव में मेष राशि हो तो मेष लग्न होगा, सिंह राशि हो तो सिंह लगन मन जायेगा, आदि ।
सूर्य किसका पुत्र है?
ऐसे बने आदित्य - सूर्य देव के जन्म की यह कथा भी काफी प्रचलित है। इसके अनुसार ब्रह्मा जी के पुत्र मरिचि और मरिचि के पुत्र महर्षि कश्यप थे। इनका विवाह हुआ प्रजापति दक्ष की कन्या दीति और अदिति से हुआ।